क्या है प्रेडर विल्ली सिंड्रोम

क्या है प्रेडर विल्ली सिंड्रोम

छह महीने की बच्ची लगभग चार महीने से बीमार थी। उसे बार-बार न्यूमोनिया से ग्रसित होकर अस्पताल में भरती होती थी और इलाज जरूरत से ज्यादा लंबा करना पड़ता था। गौर किया गया कि उसकी उंगलियां काफी छोटी थी। वजन मात्र चार किलो, आॅखे बादामी, लंबे सिल्की बाल, मुंह छोटा और नीचे झुका हुआ, लंबाई 54 सेमी, हाइपोटोनिक हाथ व पैर, दूध पीने में बार-बार सरकना और ठीक से पी नहीं पाना आदि समस्याएं देखने को मिलीं। इस बीमारी का अनुमान हो जाने के बाद जीन म्युटेशन स्टडी करवायी गयी, जिसका रिजल्ट असामान्य था। अतः प्रडेर विलि सिंड्रोम कंफर्म हो गया।एक दो वर्षों के बाद अत्यधिक आहार लेने की वजह से ऐसे बच्चे काफी मोटे हो जाते है। घे्रलिन हाॅर्मोन की अधिकता से ब्रेन आहार से संतुष्ट नहीं हो पाता है। इसके फलस्वरूप मरीज आहार लेता जाता है। स्लीप एप्निया, नींद में सांसें रूकना, टाइप 2 डांयबिटीज आदि की वजह से हड्ढी कमजोर होने, जोड़ों में दिक्कत, अचानक पेट फूलना और मोटापे से संबंधित जटिलता होती है। कम लंबाई के लिए ग्रोथ हाॅर्मोन, विटामिनों की खुराक सपोर्टिव केयर के अलावा अभी तक कोई अचूक इलाज नहीं है। दिमाग के कमजोर होने की वजह से ऐसे बच्चे ठीक से पढ़ नहीं पाते है।

कच्चे दूध से हो सकता है ब्रूसेलोसिस

कच्चे दूध से हो सकता है ब्रूसेलोसिस

कुछ महीने पहले छह साल के बच्चे को हल्के बुखार, जोड़ों में दर्द, हल्की जाॅन्डिस, बढ़े हुए लिवर एवं स्पलीन, वजन गिरना एवं भूख नहीं लगने की शिकायत लेकर क्लिनिक पर लाया गया। शारीरिक  जांच के बाद खून की जांच करवायी गयी। जिसमें स्वेत रक्त कोशिकाएं हल्की बढ़ी हुई एवं लिंफोसाइट तकरीबन 47 प्रतिशत पाया गया। इएसआर 38 आया। हीमोग्लोबिन थोड़ा कम 9.2 एवं अन्य खून एवं पेशाब की जांच नाॅर्मल आयी। टायफायड की जांच भी नाॅर्मल आयी। गरदन की कुछ गिल्टियां भी बढ़ी हुई थी। इसलिए टीबी और टायफाइड की जांच करवायी गयी। लेकिन टीबी एवं टायफाइड नहीं निकला। इलाज तो कराना ही था। अतः ओरल एंटीबायोटिक 10 दिनों के लिए दिया। 10 दिनों में बुखार एवं बढ़ा हुआ लिवर एवं स्पलीन बिलकुल कम नहीं हुआ। जांच में बिलरूबिन एवं एसजीपीटी क्रमशः 2.4 एवं 108 आयी। अतः हेपेटाइटिस ए और बी की भी जांच की गयी। जो नेगेटिव आयी कालाजार एवं मलेरिया भी नेगेटिव आया। अब कुछ असामान्य रोगों की आशंका हुई। जोड़ों में दर्द एवं बढ़ी स्पलीन के कारण रूमेटाॅयड आर्थराइटिस की जांच की गयी जो नेगेटिव आयी। अंत में ब्रूसेलोसिस एंटीजेन टेस्ट किया गया, क्योंकि कच्चा दुध पीने की शिकायत मुझे मिलि। यह पाॅजीटिव आया। यह रोग बैक्टीरिया के कारण होता है। अतः कफर्म होने के बाद उपयुक्त दवाएं तीन महीने के लिए दी गयीं और बच्चा बिल्कुल ठीक हो गया।

क्या है कावासाकी रोग

क्या है कावासाकी रोग

कुछ वर्ष पहले छह माह के बच्चे को इलाज के लिए लाया गया। बच्चे को कुछ दिनों से बुखार आ रहा था। दोनों आंखों लाल थी व होठ सूखे हुए थे। जीभ भी बिल्कुल लाल थी। जांच के बाद भी बुखार के कारणों का पता नहीं चल पा रहा था। लक्षणेंा के आधार पर कावासाकी रोग का अनुमान लगाया गया। प्लेटलेट काउंट 7 लाख प्रति एमएल पाया गया। इन लक्षणों के आधार पर दवाइयां शुरू की गयी। कुछ दिनों में बुखार उतर गया। इको कराने के बाद हॅार्ट  एन्यूरिज्म बढ़ा पाया गया। एन्यूरिज्म के फटने से मृत्यु भी हो सकती है। सर्जरी से उसे हटा दिया गया। कुछ समय बाद बच्चा स्वस्थ हो गया। उसका जुड़वा भाई दूसरे शहर में था। उसे भी यही समस्या हुई। मगर आश्चर्यजनक बात यह थी किवह खुद ही कुछ दिनों में स्वस्थ हो गया। कावासाकी रोग के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। ऐसा माना जाता है कि बैक्टीरिया, वायरल आदि के प्रति इम्यून सिस्टम के रिएक्शन से होता है। इस रोग को जल्द से जल्द पहचानना जाना चाहियें ताकि उपयुक्त दवा देकर हार्ट एन्यूरिज्म के बनने से पहले रोका जाना चाहिए ताकि मरीज की मृत्यु नहीं हो । अतः ऐसे लक्षणों को देख कर तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए।

वूल्मेन डिजीज का इलाज

वूल्मेन डिजीज का इलाज

करीब दो साल पहले एक व्यक्ति चार महीने के बच्चे को न्यूमोनिया का इलाज कराने के लिए आया। मैने उस बच्चे का इलाज किया। पर इलाज में थेाड़ा लम्बा समय लगा। एक महीने के बाद वह व्यक्ति फिर से बच्चे का इलाज कराने आया । इस बार न्यूमोनिया और व्हीजी चेस्ट की समस्या थी।दोनों बार सामान्य से लंबा इलाज चला। इससे मुझे यह आभास हो रहा था कि कोंई गंभीर समस्या थी। इसी कारण ऐसा हो रहा था। पहले दिन ही बच्चे का लिवर और स्पलीन बढ़ा हुआ मिला। बच्चे के पिता ने बताया कि दो-तीन साल पहले उसके दो और बच्चों की मृत्यु हो गयी थी और कारण का पता नहीं चला था। मैंने बच्चे की जांच करायी। खून का सेंपल लिया गया। खून के सूख कर जमने के बाद सफेद वसा काफी मात्रा में दिखी। अतः ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्राॅल की भी जांच करायी गयी। ट्राइग्लिसराइड 755 एंव कोलेस्ट्राॅल 430 आया। यह नाॅर्मल से काफी ज्यादा था। इन जांचों से वूल्मेन डिजीज कंफर्म हो गया। यह अनुवंशिक रोग है और इसका कोई इलाज नहीं है। तकरीबन एक साल तक मैं बच्चे का इलाज करता रहा। उसके बाद वह अपने राज्य चला गया। बच्चे का पिता इस बात से संतुष्ट था कि पहले उसके बच्चे की मृत्यू का पता चल गया। हांलाकि इस समय रोग पर काफी रिसर्च की जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही रोग का इलाज संभव हो पायेगा।