सिलियका डिजीज से सीवियर एनिमिया का खतरा

सिलियका डिजीज से सीवियर एनिमिया का खतरा
तकरीबन एक साल पहले 10 वर्ष का लड़का पिता के साथ मेरे क्लिनिक में जैसे ही दरवाजे से अंदर आया, मेरे मुंह से तुरंत निकला कि उसे सीवियर एनिमिया है. लड़के का चेहरा मुरझाया, सफेद, आंखों एवं मुंह-के चारों तरफ हाइपरपिगमेंटेशन, कंधे, झुके हुये, सहमी चाल, शांत और दुखी चेहने से पता चल रहा था कि वह कई दिनों से बीमार है, पांच-छह वर्षो से उसका उपचार चल रहा था, लेकिन रोग ठीक नहीं हो रहा था.
जाचः केस के बारे में जानकारी लेने पर पता चला कि पांच-छह वर्षो से पेट ददै रहता है. लगातार कमजोर होता जा रहा था. ग्रोथ भी नहीं हो रही गंभीर कब्ज की शिकायत भी रहती थी. हीमोग्लीबिन साल होने का पता चला. फिर बच्चे को लिटा कर उसकी जांच की गयी. पेट में दायीं तरफ काफी टेंडर था, उसके पिता ने बताया कि अभी तक पहले सभी डाॅक्टर ने सिर्फ पेट के कृमि की दवा दी थी, लेकिन उन दवाओं से कोई फायदा नहीं हुआ. बच्चा कुछ दिनों तक ठीक रहता है और फिर बीमार हो जा रहा है, कब्ज की दवा का भी कोइ असर नहीं होता है, सप्ताह भर तक बच्चे को शौच भी नहीं होता हैत्र सीढ़ियां चढ़ना भी मुश्किल होता है इसके लिए उसे सहारा दनेा पड़ता है. वह खेल-कूद भी नहीं सकता है सिर्फ टीवी देखता है काफी डिप्रेस भी रहता है ब्लड टेस्ट में भी कुछ पता नहीं चल पाया है अब सवाल यह उठ रहा था कि आखिर बच्चे को इतना गंभीर एनिमिया क्यों हुआ था.
ऐसे हुआ इलाजः उसे आयर की गोली दी गयी और दस दिनों के बाद हीमोग्लोबिन आठ के करीब पाया गया. पर मैं इससे संतुष्ट नहीं था. आयरन की गोली छोड़ने पर एनिमिया फिर से होने का खतरा था. उसके पिता ने बताया कि कब्ज इतना गंभीर था कि मलमूत्र बार-बार आ जाता है. अब रोग समझ में आ गया, करीब एक सप्ताह और निकल जाने के बाद उसके पिता ने बताया कि बच्चा आठ-दस दिनों से बिल्कूल शौच नहीं हुआ है, मैंने खून की जांच कराने के लिए कहा. इस जांच से सीलियक डिजीज की पुष्टि हो गयी. इस रोग का इलाज शूरू हुआ 10 दिनों मे सुधार होने लगा. चेहरे का रंग सुधरने लगा और वह खुश रहने लगा. एक महीने मे वह काफी शरारती हो गया था. चेहरा थोड़ा लाल हो गया था. एवं काले धब्धे काफी कम हो गये, सीढ़ियां भी आराम से चढ़ने लगा. और खेल-कूद में भाग लेने लगा, दो-तीन महीने में उसकी जिंदगी बिल्कूल नाॅर्मल हो गयी. पूरे परिवार की जिंदगी बदल गयी. अब शौच भी आराम से होने लगा था. एक साल मे वजन 25 किलो से 40 किलो और लंबाई 127 सेमी से 139 सेमी हो गयी है, अ बवह सामान्य बच्चों की तरह ही खेल-कूुद पाता है।

सीकल सेल एनिमिया से हो सकता है बुखार

सीकल सेल एनिमिया से हो सकता है बुखार

करीब तीन साल पहले एक डेढ़ वर्ष के लड़के को तेज बुखार के बाद अस्पताल में लाया गया. जानकारी लेने पर पता चला कि बच्चे को तीन-चार महीने से बुखार आ रहा था. एक दूसरे अस्पताल में उसका इलाज चला रहा था. पता चला कि बुखार पांच-छह दिनों में ठीक हो जाता है, उसके बाद 20 दिन या एक महीने के बाद बुखार दोबारा आ जाता है, बच्चे की जांच करने के बाद बुखार के करणों का पता नहीं चल सका. पूछ-ताछ से पता चला कि बच्चे के दायें घुटने में करीब तीन-चार महीने पहले फोड़ा हो गया था जब भी बुखार आता तो बच्चा दाये पैर से लगड़ाता था. फिर चेकअप करने पर दाहिने हिप ज्वांन्ट के पास एक टेंडन मिला, दबाने पर बच्चे कों दर्द हुआ. एक्स-रे कराने पर पता चला कि दांये हिप ज्वांन्ट का स्पेस बढ़ा हुआ था. अब सेप्टिक आर्थराइटिस कफर्म हो गया थात्र क्रानिक रक्त स्त्राव की कोई हिस्ट्री नहीं थी. कि बच्चे को गंभीर एनिमिया क्या है. एक और जांच से सिकल सेल डिजीज की पुष्टि हो गयी.

आमतौर पर सिकल डिजीज में आॅस्टियोमायलाइटिस भी हो सकता है अतः तुरंत बच्चे को एमआरआइ जांच करायी गयी और आॅस्टियोमायलाइटिस रोग कफर्म हो गया. अंततः अब बच्चे में सिकल सेल एनिमिया कफर्म हो गया। छह महीने तक बच्चे का एंटीबायोटिक से उपचार चला. उसके बाद बच्चा पूरी से स्वस्थ हो गया. अतः बुखार के कारण को जान करके उसका जड़ से इलाज करने के बाद यह समस्या पूरी तरह से समाप्त हो गयी.