PFAPA है इन्फेक्शनल डिजीज

PFAPA है इन्फेक्शनल डिजीज



एक आठ वर्ष का लड़का बहुत तेज बुखार गरदन में गिल्टी मुंह और जीभ में सफेद एवं लाल अल्सरेटेड टॅान्सिल एवं सफेद ध्ब्बेां के साथ भरती हुआ। अभिभावक ने बताया कि 4-5 सालों से तकरीबन हर महीने बच्चे की यही स्थिति होती है। बुखार 104 डिग्री फाॅरेनहाइट तक चला जाता है। कुछ एंटीबायोटिक दिया जाता है और 4-5 दिनों में वह बिलकुल नाॅर्मल हो जाता है और अब उसकी टाॅन्सिल निकालने की तैयारी चल रही थी। जांच में WBC बढ़ा हुआ था। 3-4 दिनों में डेक्सेाना इंजेक्शन व ब्रूफेन देने से वह बिल्कुल स्वस्थ हो गया। अभिभावकों की तसल्ली के लिए मैंने lga,lgA,lgm & lgE करवाया जो बिल्कुल नाॅर्मल आया। अन्य जांच भी नाॅर्मल आये। throat swab में staph aureus bacteria का ग्रोथ देखा गया, पर इसे डिस्काॅर्ड कर दिया गया क्योंकि इस बैक्टिरिया से टाॅन्सिल की इंफेक्शन नहीं होती है। Epstein-Barr virus के इंफेक्शन की डायग्नोसिस के लिए lgm, lga & VCA टेस्ट कराये जो निगेटिव आये। अतः Periodic Fever, Adenitis, Pharyngitis, Aphthous Ulcer (PFAPA) Syndrome कीडायग्नोसिस बनाई और बिना एंटीबायोटिक के ही बच्चें को ठिक कर दिया। और टॅान्सिल का आॅपेशन नहीं कराने की सलाह दी। आगे Colchicine  नामक दवा शुरू करायी। पिछले कई महीने से वह बिलकुल ठीक है और अभि तक बुखार एवं टाॅन्सिल की इन्फेक्शन नहीं हुआ है। यह autoimmune diease  है और 8-10 वर्ष उम्र के बाद यह अपने आप ठीक हो जाता है। तब तक Colchicine  से इस तरह की दिक्कतों को कम किया जा सकता है।

क्या है फेनकोनी एनिमिया

क्या है फेनकोनी एनिमिया

कुछ वर्षों पहले दिल्ली में मेरे अस्पताल में डेढ़ वर्ष के लड़के को इलाज के लिए लाया गया। उस लड़के में बहुत सारी शारीरिक विकृति एवं सीवियर एनिमिया था। बच्चे कि लंबाई भी काफी कम थी। आंखें छोटी थी और ऊपर सूजन भी था। उसका सिर भी छोटा था। तलवा हाई आच्र्ड था। दोनो हाथों के अंगूठे छोटा और मोटे थे। शरीर पर टेढ़े-मेढ़े दाग एवं खून के धब्बे भी थे। लिवर एवं स्पलीन भी बढ़ा हुआ था। वह बार बार बीमार पड़ रहा था। न्यूमोनिया, दस्त, बुखार आदि रोग हमेशा परेशान करते रहते थे। जांच में हीमोग्लोबिन 4.8 था। व्हाइट ब्लड सेल्स भी काफी कम था। एक्स-रे में दोनों हाथेंा में रेडियस हडडी हाइपोप्लास्टिक थी। एसजीपीटी भी बढ़ा हुआ था। खुन की जांच में बोन मैरो हाइपोप्लेशिया मिला। अब बोन मैरो में क्रोमोजोमल ब्रेकेज स्टडी की गयी। अब फेनोकोनी एनिकमिया कंफर्म हो गया। इलाज के लिए ब्लड ट्रांसफयूजन, प्लेटलेट ट्रांसफयूजन के अलावा एंड्रोजेन, टेस्टोस्टेरॅान एवं अन्य दवांए दी गयीं। कुछ महिनों के बाद बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए भेज दिया गया। अब स्टेम सेल में थेरेपी से पूर्णतः इलाज भी संभव है। यह आनुवंशिक रोग है और लड़के-लड़कियाॅं दोनों में होता है। इस रोग के होने के बाद कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है। समय- समय पर इसकी जांच भी करनी पड़ती है। शारीरिक विकृतियों के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।