इस तरह दूर रखें हृदय रोग
हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर बचपन में ही पनपने लगते है और किशोरावस्था तक कई
बच्चे कार्डियो वैस्कुलर डिजीज का खतरा काफी बढ़ जाता है इसका सबसे बड़ा रिस्क
फैक्टर मोटापा है, जो मुख्य रूप से जंक फुड खाने के कारण होता है मोटापे की वजह से हाइ बीपी,
हाई कोलेस्ट्राल डायबिटीज,
मेंटाबालिक सिंड्रोम आदि
रिस्क फेंक्टर उत्पन्न हो जा रहे है. आज कल अभिभावक बच्चों को टिफिन में भी चाउमिन,
बर्गर आदि देने लगे हैं,
इसके कारण बच्चों की फूड
हैबिट बदल गयी है. अतः ह्रदय रोग से बचने के लिए बच्चों को शूरू से ही कुछ अच्छी
हैबिट सिखानी चाहिए. बच्चों को खाने में दलिया, चावल, दाल, रोटियां और हरी सब्जियों का सेवन करने की आदत डलवानी चाहिए, नाश्ते व खाने में खीरे-ककड़ी
गाजर, फल, दुध, दही, अंडे इत्यादि ज्यादा खाना चाहिए, हाइ बीपी की भी समस्या बच्चों में काफी बढ़ी है इससे
बचने के लिए बच्चों को शुरू से ही खाने में नमक का इस्तेमाल कम करना सिखाना चाहिए.
एक शोध में पता चला है कि नमक का इस्तेमाल 25 प्रतिशत तक कम कर देने में हाइ बीपी
के होने की आशंका आधे से भी कम हो जाती है।
फिजिकल एक्टिविटी जरूरी
आजकल बच्चों में खेल-कूद और फिजिकल एक्टिविटी काफी कम हो गयी है. यह भी मोटापे
का एक बड़ा कारण है. जिस तरह पढ़ना जरूरी है. उसी प्रकार बच्चों को कुछ देर खेलना भी
जरूरी है. इससे अनुपयोगी केलेस्ट्रोल का लेवल कम होता हैं और उपयोगी कोलेस्ट्रोल
के लेवल में वृद्धि होती है. गेम और कम्पूटर पर देर तक बैठने की आदत से बच्चों को
दूर रखना चाहिए. आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए. (डॉ एस कुमार,
शिशु रोग विशेषज्ञ)
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