Treatment of 40 Year Patient

In this 40 yr patient invest for celiac anti ttg iga  is more than 100 (n 20) and iga is normal.so celiac disease is proved and on gfd he is much better and hb now is 7 in last 1.5 mnth of rx.hes much happier and gained about 3 kg till now.
So the diag done in just rs rs4k r
1.celiac
2.hypothyroid
3.typhoid and paratyphoid
4.uti
5.ascariasis.
6.dimorphic anemia
7.assoc hypoalbuminemia
8.piles

Celiac dis in 40 yr old has been diagnosed 1st time by me.

Centre for adoption

Centre for adoption :genuine .honest.and reliable advise for adoption.
Independent opinion and guidance for adopting a child.
Has 6 years experience in adoption in ranchi.
Having indepth knowledge of development & growth.infective & non infective diseases like metabolic.hormonal.renal.hepatic.blood.respiratory .neuro and congenital anomalies and syndromes.
 Tests to be done before adoption:
1.cbc:hb.tc dc mcv mch mchc rbc platelet and reticulocyte  count are face of many hidden diseases.
2.esr.
3. Na.k.ca.cl.ph.alp
4.lft
5.kft
6.blood grp
7.hiv.hbsag.hcv.vdrl .malaria & typhoid
8.cxr were indicated but always needed for foreign adoptee parents.
9.mx test if  older.
10.torch is not needed but in certain conditions  like microcephaly .hydrocephalus .
hepatosplenomegaly it should be done.
11.growth and motor.social.cognitive .speech & hearing etc assessment.
12.echo if needed.
13.other tests in special circumstances.
[9/18, 14:24] Dr. S Kumar Wp: Crack the final/ultimate diagnosis
40 yrs old male.52kg.increasing pallor .stools of varying consistency for several yrs.mild fever for months.poor appetite .bleeding piles.
T 98.7.spleen firm 3 cm.liver firm 1cm.Pallor +++.no lymph node.edema clubbing.cyanosis.
H/few episodes of cold cough.and blood transfusions.
F/hist ns.
Invest
hb 4.4 wbc 9k.p50.l42.e8.rbc1.8.plt1.5.pcv 15.mcv83.mch 24.mchc 29.ps anisopoikilocytosis.45% rbc have macrocytic changes.
Tsh21.9
Protein5.alb 2.9 globulin 2. 1a:g 1.38.sgot.pt 10 & 15.bil 0.9/0.2
Ca 8.4.
Triglyceride 103 .cholesterol 102.
Create 0.9 na 115.k3.7
Widal+ve o & paratyphi ah 1/320.
Ur pus ++ c/s e coli 100000 and more.
Stool ascaris+ve.
What r the diagnosis and ultimate diag in this patient.

Any further investigation required or not.what?.

इम्मोटाइल सिलिया सिंड्रोम

इम्मोटाइल सिलिया सिंड्रोम


करीब आठ महीने का बच्चा अस्पताल में चैथी बार भरती हुआ. हर बार वह गंभीर न्यूमोनिया एवं दायें फेफड़े में अपर लोब कोलेप्स से साथ भरती होता था. दो बार उसके दोनों कानों मे ओटाइटिस मीडिया नामक इन्फेक्शन भी हुआ था. उसके अभिभावक बच्चों में सर्दी-खांसी को लेकर भी परेशान रहते थे. सर्दी-खांसी लगातार बनी रहती थी. इस कारण से वजन भी नहीं बढ़ रहा था और आठ किलों की बजाय वह सिर्फ पांच किलो का था. इलाज भी सामान्य से लंबा चलता था. कई महीनों से छाती में व्हीजिंग के कारण उसे नेबुलाइजेशन की भी जरूरत पड़ रही थी. सारी जांच भी नॉर्मल आ रही थी. बार-बार ओटाइसिस मीडिया, व्हीजी चेस्ट. लंबी सर्दी-खांसी न्यूमोनिया की वजह से इम्यूनी डेफिशिएंसी की भी सारी जांच करवायी गयी. उसकी छाती की भी जांच करवायी गयी किंतु कोई परेशानी नहीं मिली. कई अन्य जांच भी करायी गयी सब की रिपोर्ट नॉर्मल आयी. अंत में नाक के बाल की इलेक्ट्राल सिलिया सिंड्रोम को डायग्नोज किया गया. इस बीमारी में श्वास नली की सिलिया (सूक्ष्म बाल) उपर एवं बाहर की तरफ एक साथ गतिमान उपरी दिशा में नहीं होते है, जिसके फलस्वरूप नली के नर्व से स्त्राव बाहर नहीं निकल पाता है, अंत बार-बार उपरोत्त समस्या होती है, यह आनुवंशिक रोग है और कोई अचूक इलाज नही है, इस कारण लक्षणों के आधार पर ही बच्चे का इलाज किया गया,

एंटी ट्रिपसिन की कमी से अस्थमा

एंटी ट्रिपसिन की कमी से अस्थमा


कुछ वर्षो पहले तकरीबन 12 वर्ष का लड़का लंबे समय से सासों की परेशानी और लिवर में खराबी लेकर मेरे वार्ड मे भरती हुआ. बीमारी के कारण उसका वजन मात्र 24 किलो हो गया था. चार वर्षो में उसका वजन मात्र चार किलो की बढ़ा था. इस उम्र में उसका वजन करी 35 किलो होना चाहिए था. अस्थमा का इलाज कई वर्षो से चल रहा था. कई जांच की गयी. पर अधिकर नॉर्मल ही मिली. अल्ट्रासाउंड में पता चला था कि लिवर सिकुड़ गया था. जांडिस के लिए जांच की गयी. जो नेगेटिव आयी. विल्सन डिजीज के लिए भी जांच की गयी, जो नॉर्मल आयी. ऑटो इम्यून हेपेटाइटिस की जांच भी नॉर्मल आयी. Pizz, Piss  एवं Pmm की जांच की गयी, इस जांच से पता चला कि अल्फा-1एंटी ट्रिप्सिन डेफिशिएसी का पता चला. फेफड़े एंव लिवर में प्रोटिएज एवं न्यूट्रोफिल इलेक्टेज एंजाइम विघटित होता है. इस एंजाइम की अधिकता बढ़ने के कारण फेफड़े में मौजूद अल्व्योली नष्ट होने लगते है. इसी समस्या के कारण सीओपीडी रोग उत्पन्न होता है. इस रोग में मरीज को सांस छोड़ने में परेशानी होती है. लिवर में भी अल्फा एंटी ट्रिप्सिन की अधिकता की वजह से लिवर सिरोसिस या कैंसर होने का भी खतरा होता है. इसका इलाज लिवर और फेफड़े के ट्रांसप्लांट से ही संभव है.

इस तरह दूर रखें हृदय रोग

इस तरह दूर रखें हृदय रोग


हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर बचपन में ही पनपने लगते है और किशोरावस्था तक कई बच्चे कार्डियो वैस्कुलर डिजीज का खतरा काफी बढ़ जाता है इसका सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर मोटापा है, जो मुख्य रूप से जंक फुड खाने के कारण होता है मोटापे की वजह से हाइ बीपी, हाई कोलेस्ट्राल डायबिटीज, मेंटाबालिक सिंड्रोम आदि रिस्क फेंक्टर उत्पन्न हो जा रहे है. आज कल अभिभावक बच्चों को टिफिन में भी चाउमिन, बर्गर आदि देने लगे हैं, इसके कारण बच्चों की फूड हैबिट बदल गयी है. अतः ह्रदय रोग से बचने के लिए बच्चों को शूरू से ही कुछ अच्छी हैबिट सिखानी चाहिए. बच्चों को खाने में दलिया, चावल, दाल, रोटियां और हरी सब्जियों का सेवन करने की आदत डलवानी चाहिए, नाश्ते व खाने में खीरे-ककड़ी गाजर, फल, दुध, दही, अंडे इत्यादि ज्यादा खाना चाहिए, हाइ बीपी की भी समस्या बच्चों में काफी बढ़ी है इससे बचने के लिए बच्चों को शुरू से ही खाने में नमक का इस्तेमाल कम करना सिखाना चाहिए. एक शोध में पता चला है कि नमक का इस्तेमाल 25 प्रतिशत तक कम कर देने में हाइ बीपी के होने की आशंका आधे से भी कम हो जाती है।

फिजिकल एक्टिविटी जरूरी

आजकल बच्चों में खेल-कूद और फिजिकल एक्टिविटी काफी कम हो गयी है. यह भी मोटापे का एक बड़ा कारण है. जिस तरह पढ़ना जरूरी है. उसी प्रकार बच्चों को कुछ देर खेलना भी जरूरी है. इससे अनुपयोगी केलेस्ट्रोल का लेवल कम होता हैं और उपयोगी कोलेस्ट्रोल के लेवल में वृद्धि होती है. गेम और कम्पूटर पर देर तक बैठने की आदत से बच्चों को दूर रखना चाहिए. आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए. (डॉ एस कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ)

वूल्मेन डिजीज का इलाज

वूल्मेन डिजीज का इलाज


करीब दो साल पहले एक व्यक्ति चार महीने के बच्चे को न्यूमोनिया का इलाज कराने के लिए आया. मैंने उस बच्चे का इलाज किया. पर इलाज में थोड़ा लंबा समय लगा. एक महने के बाद वह व्यक्ति फिर से बच्चे का इलाज कराने आया. इस बार न्यूमोनिया और व्हीजी चेस्ट की समस्या थी,  दोनो बार सामान्य से लंबा इलाज चला,  इससे मुझे यह आभास हो रहा था कि कोई गंभीर समस्या थी. इसी कारण ऐसा हो रहा था. पहले दिन ही बच्चे का लिवर और स्पलीन बढ़ा हुआ मिला. बच्चे के पिता ने बताया कि दो-तीन साल पहले उसके दो और बच्चों की मृत्यु हो गयी थी और कारण का पता नहीं चला था. मैनें बच्चे की जांच करायी, खून का सेंपल लिया गया खून के सूख कर जमने के बाद सफेद वसा काफी मात्रा में दिखी. अतः ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्राल की भी जांच करायी गयी. ट्राइग्लिसराइड 755 एवं कोलेस्ट्राल 430 आया, यह नार्मल से काफी ज्यादा था. इन जांचों से वूल्मेन डिजीज कफर्म हो गया, यह आनुवंशिक रोग है और इसका कोई इलाज नहीं है. तकरीबन एक साल तक मैं बच्चे का इलाज करता रहा. उसके बाद वह अपने राज्य चला गया, बच्चे का पिता इस बात से संतुष्ट था कि पहले उसके बच्चे की हुई मृत्यू का पता चल गया. हालांकि इस समय रोग पर काफी रिसर्च की जा रही है. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही रोग का इलाज संभव हो पायेगा.

वीएसडी रोग का हुआ इलाज

वीएसडी रोग का हुआ इलाज

4-5 साल पहले एक महिला इलाज कराने के लिए आयी. महिला की उम्र 38 वर्ष थी. उसने नाक की सर्जरी करके उसे हटाने का आग्रह किया. उसका कहना था कि पिछले साल बच्चेदानी निकालने के बाद से हर सात से दस दिन मे उसके नाक से काफी खून आ रहा था. उसने बताया कि 15 वर्ष की उम्र मे एक बार उसे रक्तस्त्राव होता था इस कारण साल मे दो-तीन बार खून चढवाना पड़ता था वह कई विशेषज्ञों से दिखा चुकी थी. मगर उसकी समस्या का कोई समाधान नही हुआ था. पिछले साल परिवार पूरे होन के बाद विशेषज्ञों से सलाह लेकर उसने बच्चेदानी को सर्जरी द्वारा हटवा दिया. उसी के बाद से नाक से रक्तस्त्राव शुरू हो गया. इसी कारण वह नाक की सर्जरी करवाने आयी थी. उसे समझाया गया कि नाक की सर्जरी करके उसे हटवाना समाधान नही है क्योंकि हो सकता है किसी दूसरे अंग से ब्लीडिंग शुरू हो जाये. उसके खून की जांच की गयी. उसके बाद एक और जांच करायी गयी, जिमें करीब 20 हजार का खर्च आता है. कुछ दिन के बाद जब रिर्पोट आयी, तो वीएएसडी कंफर्म हो गया. ब्लीडिंग के समय इसे लेने से ब्लीडिंग बंद हो जाती है. अब उसे ब्लीडिंग नहीं होती है और अब वह स्वस्थ है. अतः यदि इस तरह की समस्या होने पर इसकी अच्छे तरीके से जांच करानी जरूरी है.

क्या है फेनकोनी एनीमिया

क्या है फेनकोनी एनीमिया
कुछ वर्षों पहले दिल्ली में मेरे अस्पताल में डेढ़ वर्ष के लड़के को इलाज के लिए लाया गया | उस लड़के में बहुत सारी शारीरिक विकृति एवं सेवीयर एनिमिया थ, बच्चे की लम्बाई भी काफी कम थी, आखें छोटी थीं और ऊपर सुजन भी थी, उसका सर छोटा था, तलवा हाई आर्च्ड था, दोनों हाथों के अंगूठे छोटे और मोटे थे, शरीर पर टेढ़े-मेढे दाग एवं खून के धब्बे भी थे, लिवर एवं स्पलीन भी बढ़ा हुआ था, वह बार बार बीमार पड रहा था, न्यूमोनिया, दस्त, बुखार, आदि रोग हमेशा परेशान करते रहते थे | जांच में हिमोग्लोबिन 4.8 था, व्हाइट ब्लड सेल्स भी काफी कम था, एक्स-रे में दोनों हाथों में रेडियस हड्डी हाइपोप्लास्टिक थीं, एसजीपीटी भी बढ़ा हुआ था, खून की जांच में bone marrow hypoplasya मिला, अब bone marrow की जांच की गयी, क्रोमोजोमल ब्रेकेज स्टडी की गयी, अब फेनोकोनी एनीमिया कन्फर्म हो गया, इलाज के लिए ब्लड ट्रांस्फ्यूज़न, प्लेटलेट ट्रांस्फ्यूज़न के अलावा एंड्रोजेन, टेस्टोस्टरोन एवं अन्य दावा दी गयी, कुछ महीने के बाद bone marrow transplant के लिए भेज दिया गया | अब स्टेम सेल में थेरेपी से पुर्णतः इलाज भी संभव है, यह आनुवांशिक रोग है और लड़के लड़कियां दोनों में होता है, इस रोग के होने के बाद कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है, समय - समय पर इनकी जांच भी करानी परती है, शारीरिक विकृतियो के लिए सर्जरी की भी जरुरत पड़ सकती है |