Pain abdomen in Children (बच्चों में पेट दर्द)

बच्चों में पेट दर्द


यह बहुत ही Common Problem  है। यह यदि लम्बी या असहाय या दिनों Severity and Frequency  बढ़ रही हो तो कभी नजर-अंदाज नहीं करनी चाहिये। ऐसे बच्चों को बार-बार सिर्फ कृमि की दवा दी जाती है या OFLOX/ NORFLOX + METRONIDAZOLE/ TINIDAZOLE/ORNIDAZOLE  की दवा दी जाती है जो सरा-सर गलत है। कई अभिभावक तो सोचकर बैठ जाते हैं कि शिशु बड़ा होगा तो पेट दर्द ठीक हो जायेगा। ऐसा उचित नहीं है क्योंकि धीरे-धीरे पेट दर्द अति संगीन बिमारी में पनप सकता है या बच्चे के विकास में बाधक हो सकती है। अतः Recurrent Chronic (बार-बार एवं लम्बे समय से) पेट दर्द के कारण जानने के लिये कुछ जाँच अवश्य करवा लेनी चाहिये। पेट दर्द के साथ और क्या लक्षण देखें कि जाँच कराना जरूरी समझें। ऐसे लक्षण निम्नलिखित हैः-
1.            पेट दर्द असहाय हो और दिनचर्या में बाधक होः-
जैसे- स्कूल छूटना, नींद में पेट दर्द से उठ जाना, पेट पकड़ कर  बैठ जाना या छटपटाना, खेलते वख्त भी पेट दर्द होना।
2.            पेट दर्द के साथ बार-बार उल्टी-दस्त होः-
दस्त हरा या काला हो तो यह Parenteral Diarrhoea हो सकती है। यानि पेट में Infection की बजाय पेशाब या कहीं और Infection  हो सकता है। ऐसी स्थिति में UTI  (पेशाब के इन्फेक्शन) की Diagnosis Urine R/M & C/SS द्वारा अवश्य करके उचित ईलाज करनी चाहिये। ऐसे बच्चों में बार-बार UTI  होने से बार-बार Parenteral Diarrhoea होती है और अमूमन 4-5 दिनों तक । Antibiotic  देकर ठीक कर दिया जाता है। और कुछ दिनों में फिर से UTI  हो जाता है और साथ में दस्त शुरू हो जाती है। अतः Urine R/M & C/SS  करके UTI diagnosis  अवश्य करनी चाहिए ताकि 7-10 दिनों तक उपयुक्त antibiotic  से जड़ से UTI का ईलाज हो सके ताकि बार-बार यह नौबत नहीं आये। बार-बार UTI होती है तो लड़के में Phimosis (पेशाब का रास्ता नहीं खुलता) या Long Prepuce  (लंबी चमड़ी लिंग की) जरूर देखनी चाहिये ताकि इनके ईलाज के बाद UTI  एवं दस्त से हमेशा के लिये छुटकारा मिल सके। बार-बार (Recurrent) UTI  के अन्य कारण हैं: VUR (Vesico-Ureteric Reflex  जिसमें पेशाब करते वख्त ureter  में ऊपर जाती है।, Bladder  (पेशाब की थैली) Outlet obstruction or Ureterocele or Ectopic Ureter or Double Ureter etc की Mcug &RCUG karke Diagnosis  अवश्य करवा लेनी चाहिये ताकि जड़ से बिमारी एवं पेट दर्द ठीक किया जा सके। कब्जor Bubble Bath or पारिवारिक  Familial  भी  UTI करवाते हैं।
3.            यदि पेशाब दुर्गन्धित, बार-बार जाना, तुरंत एवं जल्दी-जल्दी होना, पेशाब करते बख्त जलन होना, जोर से लगना अथवा रोक नहीं पाता है तो UTI के लिये जांच अवश्यक करवायें ताकि इसकी ईलाज हो सके।

4.            शारीरिक विकास नहीं हो रहा हो, अत्यधिक कब्ज या बार-बार पतली टट्टी जो तैलिया हो सकती है,  दुर्गन्धित टट्टी, शिशु के विकास 1-2  वर्षों के बाद ठीक से नहीं होना, पेट में दर्द, रंग पीला पड़ते जाना (Anaemia)  हो तो Celiac disease  की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिये ताकि निदान हमेशा के लिये हो सके। अमूमन प्रत्येक 15 दिनों में मैं एक Celiac disease Diagnose करता हूँ।
5.            कभी-कब्ज, कभी दस्त पेट दर्द के साथ हो तो Irritable Bowel syndrome हो सकता है। Pre-Probiotics एवं कुछ और दवाईयों से इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है।
6.            पेट दर्द के वख्त कुछ अटपटा व्यवहार या बेहोश हो जाना Abdominal Epilepsy  (पेट की मृगी) हो सकती है जो EEG  से Confirm  करके Epilepsy  की दवा से ठीक किया जा सकता है।
7.            पेट दर्द के साथ-साथ शरीर पर काले दानें या धब्बे निकल जाता है तो Porphyria    हो सकती है। इसमें पेट दर्द काफी ज्यादा एवं अटपटा व्यवहार भी हो सकता है। धूप, Infection, Stress  इत्यादि में इसकी अटैक हो सकती है। Attack  के समय पेशाब में Porphobilinogen की मात्रा बढ़ जाती है। और हवा में पेशाब 1/2 - 1 घंटे रखने पर ब्वसं रंग की हो जाती है। बहुत सारी दर्द की दवाईयां इस बिमारी में Contraindicated  होती है। इन चीजों का परहेज ही इसका ईलाज है। अतः इसकी Diagnosis  बहुत जरूरी है। कुछ नई दवाईयों से अब इसका इलाज संभव हो गया है|
8.            पेट दर्द के वख्त पसीना चलना या असहज महसूस करना और साथ में दस्त होना तो Vipoma, Gastrinoma, Carcinoid syndrome इत्यादि हो सकती है। उपयुक्त जांच एवं निदान होनी चाहिए।
9.            पेट दर्द के साथ सांसे ज्यादा चलना एवं बेहोश हो जाना या बेहोष जैसा होना तो Diabetic Ketoacidosis  हो सकती है जो High Blood sugar  के साथ Acidosis confirm  करके Diagnosis किया जाता है। Insulin drip द्वारा ईलाज सम्भव है।
10.          पेट-दर्द, उल्टी और Jaundice हो तो Infective Hepatitis अवश्य पता लगाना चाहिये और उपयुक्त ईलाज तभी सम्भव है।
11.          पेट-दर्द के साथ बुखार आता हो तो Typhoid, Malaria, UTI इत्यादि की जाँच करवानी चाहिये।
12.          पेट में काफी दर्द, उल्टी हो तो Appendicitis, Pancreatitis, Gall Bladder (पित्त की थैली) या Kidney    में Stone (पथरी) हो सकती है। Ultrasound   द्वारा Diagnosis    हो जाता है और ईलाज भी उसके बाद आसान है।
13.          Sickle Cell Disease में भी काफी पेट दर्द होता है। यदि Anemia भी मिले तो इसकी जाँच अवश्यक करवा लेनी चाहिये ताकि उचित ईलाज हो सके।
14.          Vaculitis  जैसे HSP (Henoch scholein Purpura) में काफी पेट दर्द एवं शरीर में लाल धब्बे (Purpuric rashes) खास कर पैरो में निकल जाते हैं। Steroid द्वारा ईलाज आसान है।
15.          Hyperuricemia:    अभी हाल ही में एक 10 वर्ष की लड़की में High Uric Acid ठीक करके भयावह पेट दर्द मैंने ठीक किया है। लाखों रूपये की जाँच के बाद और कोई भी कारण नहीं मिल सका सिवाय High Uric Acid  के। अतः Uric Acid की दवा से 2-3 दिनों में बिल्कुल ठीक हो गई। यह सम्भवतः दुनिया में पहली ऐसी Reported घटना है। बिना Uric Acid Kidney Stone  के पेट में दर्द एक आष्चर्यचकित बात है और शोध की विषय है।
16.          Familial Mediterranean Fever or Periodic Peritonitis:- समय-समय पर कुछ परिवार में कई लोगों को काफी पेट में दर्द एवं बुखार होता है। खासकर भूमध्यसागर के पास ज्यादातर पायी जाती है। Colchicine  द्वारा इसकी अचूक ईलाज होती है।
17.          Lead Toxicity:  मिट्टी, चूना, चॉकलेट  अत्यधिक खाने से Lead Toxicity हो सकती है। Anaemia  एवं Lead  की मात्रा बढ़ जाती है। Chelating Agent  द्वारा शरीर से Lead निकाला जाता है और Anaemia  की ईलाज की जाती है।
18.          पेट में कृमि से पेट में दर्द होता है किन्तु यह भयावह नहीं होती। टट्टी या उल्टी में कृमी कभी-कभार देखा जा सकता है। इसकी दवा से ईलाज बहुत आसान है। Pin worm  से टट्टी के रास्ते में खुजली होती है ना की पेट में दर्द। कृमि की Infestation   से भूख ज्यादा लगता है ना की भूख मर जाती है। यह आम बात है|
19.          पेट की TB अब काफी कम मिलती है।
बिना कारण के पेट दर्द भी हो सकती है।
20.          Growing Pain: 7-10 वर्ष लड़कियों में पैरों, पेट में दर्द, सिर में दर्द हो सकती है और साधारण दर्द की दवा से ठीक हो जाता है।
21.          Psychological Pain:  पारिवारिक कलह, स्कूल में डाँट इत्यादि की वजह से छोटे बच्चों में School  जाते वख्त पेट में दर्द एवं उल्टीहोती है जो counselling  से ठीक किया जा सकता है। मेधावी छात्रा पढ़ाई की Stress  की वजह से भी ऐसी षिकायत करते हैं जो Counselling & support से ठीक हो जाता है।
                                निम्नलिखित जाँचें आवष्यकतानुसार पेट दर्द में करवानी चाहिएः-
1.       CSC, ESR
2.       Na, K, Ca, SGPT, RBS, URIC ACID, CR.
3.       Ur c/S
4.       ULTROSOUND & X-RAY & CT SCAN
5.       BLOOD LEAD
6.       IgA & ANTI TTG-IGA
7.       EEG
8.       URINE FOR PROPHOBILINOGEN
9.       AUTOIMMUNE ANTIBODIES
10.   TYPHOID & MALARIA
11.   TB
12.   SICKLING Test & HPLC etc etc.

                                             By Dr S Kumar
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Long QT syndrome in 11 yr boy : causing fainting attacks

This apparently normal child for last 1 month is experiencing post exertional fainting episodes  and recovers spontaneously.since then he has  become lethargic.weak.anorexic  and has deteriorated in studies.
His mother expired suddenly during his infancy wihtout a known cause which gave the clue of some inherited heart disease.so i did ecg which revealed LONG QT SYNDROME .
It can precipitate arrythmias and sudden death if not immed intervened.later all blood and urine reports came normal.
Adrenergic blockers reduce the syncope or fainting episodes but since its genetic permanent cure is impossible.
So diag was made within an hr of presentation and is rarest of rare diag .i diagnosed it  1st time and never diagnosed.heard or seen in any of the centres i worked till date.
Dr s. kunar
Rainbowchildhospital.com
Beside nifft.hatia.ranchi.
+917250725044.

अनुवांशिक रोग है एचएलएच

अनुवांशिक रोग है एचएलएच
लगभग तीन साल पहले डेढ़ महीने के एक बच्चे को तेज बुखार हुआ जो एक सप्ताह के बाद भी नहीं उतरा था. मैंने उसकी जांच की तो लिवर और स्पलीन दोनो बढ़े हुए मिले, जाँच में मलेरिया टाइफाइड ब्लड कल्चर इत्यादि नार्मल मिला. पर बच्चे का वजन लगातार कम हो रहा था. बुखार 104 डिग्री से अधिक था. सात दिनों तक एटीबायोटिक देने से भी कोई सुधान नहीं हो रहा था. उसके बाद मैंने कुछ विशेष जांच करायी, जिसमें फाइब्रोनोजिन काफी कम आया, फेरीटिन 16 हजार था जो नार्मल 500 से कम था. ट्राइंिग्ंलसराइड का लेवल 282 था. अतः इन पांच क्रिटेरिया से एचएलएच सत्यापित हो गया. यह कैंसर से भी खतरनाक रोग है. इसका इलाज बोन मेरो ट्रासंप्लांट और कीमोथेरेपी से होता है. वायरल इन्फ्रेक्शन, कुछ और रोगी और इम्युनोडेफिशियेंसी आदि समस्याओं में शरीर ही रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है. इन बच्चे में सीएवी़$वीइ मिला था. जरे इम्यूनोडेफिशिएसी स्टेट में सवंमित करता है. पिता से पूछने पर पता चला की इस बच्चे के दो भाइयों की मृत्यू भी 2004 और 2005 में क्रमशः छह महीने और एक साल की उम्र में हो गयी थी. उस समय दिल्ली एम्स में भी इसके कारणों का पता नहीं चला था. असल में यह एक आनुवशिंक रोग है. जिसके कारण बच्चों की मृत्यू हो गयी. यह समस्या अब पूरी दुनिया मे फैल रही है. अतः इसके बारे में जानकारी रखनी जरूरी, ताकि समय पर इलाज से रोगी को कुछ लाभ मिल सके.
कच्चे दूध से हो सकता है ब्रूसेलोसिस
कुछ महीने पहले छह साल के बच्चे को हल्के बुखार, जोडों मे दर्दे, हल्की जाॅन्डिस, बढ़े हुए लिवर एवं स्पलीन, वजन गिरना एवं भूख नहीं लगने की शिकायत लेकर क्लिनिक पर लाया गया. शारीरिक जांच के बाद खुन की जांच करवायी गयी. जिसमें श्वेत रक्त कोशिकाएं हल्की बढ़ी हुई एवं लिफोसाइट तकरीबन 47 प्रतिशत पाया गया. इएसआर 38 आया. हीमोग्लोबिन थोड़ा कम 9.2 एवं अन्य खू एवं पेशाब की जांच नाॅर्मल आयी. टायफायड की जांच भी नाॅर्मल आयी. गरदन की कुछ गिल्टिया भी बढ़ी हुई थी. इसलिए टीबी और टायफाइड की जांच करवायी गयी. लेकिन टीबी एवं टायफायड नहीं निकला. इलाज तो करना ही था. अतः ओरल एंटीबायोटिक 10 दिनों के लिए दिया. 10 दिनों में बुखार एवं बढ़ा हुआ लिवर एवं स्पलीन बिल्कूल कम नहीं हुआ. जांच में बिलिरूबिन एवं एसजीपीटी क्रमशः 2-4 एवं 108 आयी अतः एचएसपीए एवं हेपेटाइटिस बी की भी जांच की गयी. जो नेगेटिव आयी कालााजार एवं मलेरिया भी नेगेटिव आया. अब कुछ असामान्य रोगों के बारे को आंशका हुई. जोड़ों में दर्द एवं बढ़ी स्पलीन के कारण रूमेंटाॅयड आर्थराइटिस की जांच की गयी जो नेगेटिव आयी. अंत में ब्रूसेलोसिस एटीजने टेस्ट किया गया. क्योंकि कच्चा दूध पीने की शिकायत मुझे मिली. यह पाॅजिटिव आया. यह रोग बैक्टीरिया के कारण होता है. अतः कफर्म होने का बाद उपयूक्त दवाएं तीन महीने के लिए दी गयी. और बच्चा बिल्कूल ठीक हो गया.