अनुवांशिक रोग है एचएलएच
लगभग तीन साल पहले डेढ़ महीने के एक बच्चे को तेज बुखार हुआ जो एक सप्ताह के
बाद भी नहीं उतरा था. मैंने उसकी जांच की तो लिवर और स्पलीन दोनो बढ़े हुए मिले,
जाँच में मलेरिया टाइफाइड
ब्लड कल्चर इत्यादि नार्मल मिला. पर बच्चे का वजन लगातार कम हो रहा था. बुखार 104
डिग्री से अधिक था. सात दिनों तक एटीबायोटिक देने से भी कोई सुधान नहीं हो रहा था.
उसके बाद मैंने कुछ विशेष जांच करायी, जिसमें फाइब्रोनोजिन काफी कम आया, फेरीटिन 16 हजार था जो नार्मल 500 से कम था.
ट्राइंिग्ंलसराइड का लेवल 282 था. अतः इन पांच क्रिटेरिया से एचएलएच सत्यापित हो
गया. यह कैंसर से भी खतरनाक रोग है. इसका इलाज बोन मेरो ट्रासंप्लांट और
कीमोथेरेपी से होता है. वायरल इन्फ्रेक्शन, कुछ और रोगी और इम्युनोडेफिशियेंसी आदि समस्याओं
में शरीर ही रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है. इन बच्चे में सीएवी़$वीइ मिला था. जरे
इम्यूनोडेफिशिएसी स्टेट में सवंमित करता है. पिता से पूछने पर पता चला की इस बच्चे
के दो भाइयों की मृत्यू भी 2004 और 2005 में क्रमशः छह महीने और एक साल की उम्र
में हो गयी थी. उस समय दिल्ली एम्स में भी इसके कारणों का पता नहीं चला था. असल
में यह एक आनुवशिंक रोग है. जिसके कारण बच्चों की मृत्यू हो गयी. यह समस्या अब
पूरी दुनिया मे फैल रही है. अतः इसके बारे में जानकारी रखनी जरूरी, ताकि समय पर इलाज से रोगी को
कुछ लाभ मिल सके.
कच्चे दूध से हो सकता है ब्रूसेलोसिस
कुछ महीने पहले छह साल के बच्चे को हल्के बुखार, जोडों मे दर्दे, हल्की जाॅन्डिस, बढ़े हुए लिवर एवं स्पलीन, वजन गिरना एवं भूख नहीं लगने की शिकायत लेकर
क्लिनिक पर लाया गया. शारीरिक जांच के बाद खुन की जांच करवायी गयी. जिसमें श्वेत
रक्त कोशिकाएं हल्की बढ़ी हुई एवं लिफोसाइट तकरीबन 47 प्रतिशत पाया गया. इएसआर 38
आया. हीमोग्लोबिन थोड़ा कम 9.2 एवं अन्य खू एवं पेशाब की जांच नाॅर्मल आयी. टायफायड
की जांच भी नाॅर्मल आयी. गरदन की कुछ गिल्टिया भी बढ़ी हुई थी. इसलिए टीबी और
टायफाइड की जांच करवायी गयी. लेकिन टीबी एवं टायफायड नहीं निकला. इलाज तो करना ही
था. अतः ओरल एंटीबायोटिक 10 दिनों के लिए दिया. 10 दिनों में बुखार एवं बढ़ा हुआ
लिवर एवं स्पलीन बिल्कूल कम नहीं हुआ. जांच में बिलिरूबिन एवं एसजीपीटी क्रमशः 2-4
एवं 108 आयी अतः एचएसपीए एवं हेपेटाइटिस बी की भी जांच की गयी. जो नेगेटिव आयी
कालााजार एवं मलेरिया भी नेगेटिव आया. अब कुछ असामान्य रोगों के बारे को आंशका
हुई. जोड़ों में दर्द एवं बढ़ी स्पलीन के कारण रूमेंटाॅयड आर्थराइटिस की जांच की गयी
जो नेगेटिव आयी. अंत में ब्रूसेलोसिस एटीजने टेस्ट किया गया. क्योंकि कच्चा दूध
पीने की शिकायत मुझे मिली. यह पाॅजिटिव आया. यह रोग बैक्टीरिया के कारण होता है.
अतः कफर्म होने का बाद उपयूक्त दवाएं तीन महीने के लिए दी गयी. और बच्चा बिल्कूल
ठीक हो गया.
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