एंटी ट्रिपसिन की कमी से अस्थमा
कुछ वर्षो पहले तकरीबन 12 वर्ष का लड़का लंबे समय से सासों की परेशानी और लिवर
में खराबी लेकर मेरे वार्ड मे भरती हुआ. बीमारी के कारण उसका वजन मात्र 24 किलो हो
गया था. चार वर्षो में उसका वजन मात्र चार किलो की बढ़ा था. इस उम्र में उसका वजन
करी 35 किलो होना चाहिए था. अस्थमा का इलाज कई वर्षो से चल रहा था. कई जांच की
गयी. पर अधिकर नॉर्मल ही मिली. अल्ट्रासाउंड में पता चला था कि लिवर सिकुड़ गया था.
जांडिस के लिए जांच की गयी. जो नेगेटिव आयी. विल्सन डिजीज के लिए भी जांच की गयी,
जो नॉर्मल आयी. ऑटो इम्यून
हेपेटाइटिस की जांच भी नॉर्मल आयी. Pizz,
Piss एवं Pmm की जांच की गयी,
इस जांच से पता चला कि
अल्फा-1एंटी ट्रिप्सिन डेफिशिएसी का पता चला. फेफड़े एंव लिवर में प्रोटिएज एवं
न्यूट्रोफिल इलेक्टेज एंजाइम विघटित होता है. इस एंजाइम की अधिकता बढ़ने के कारण
फेफड़े में मौजूद अल्व्योली नष्ट होने लगते है. इसी समस्या के कारण सीओपीडी रोग
उत्पन्न होता है. इस रोग में मरीज को सांस छोड़ने में परेशानी होती है. लिवर में भी
अल्फा एंटी ट्रिप्सिन की अधिकता की वजह से लिवर सिरोसिस या कैंसर होने का भी खतरा
होता है. इसका इलाज लिवर और फेफड़े के ट्रांसप्लांट से ही संभव है.
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