मलेरिया व टाइफाइड
करीब डेढ़ साल पहले सात साल के एक लड़के को इलाज के लिए लाया गया, उसे २५ दिनों से १०५ डिग्री बुखार आ रहा था, २४ घंटे में दो बार अत्त्याधिक कपकपी आ रही थी. मैंने जांच किया तो बुखार उस समय १०४.८ डिग्री था, लीवर, स्प्लीन बढ़ा हुआ था | शरीर शिथिल व कमजोर अवस्था में था, उसने कई दिनों से खाया नहीं था, सिर्फ पानी पी रहा था, कुछ दवाइयां पहले से चल रही थी, लेकिन लाभ नहीं हो रहा था| २० दिन पहले की जांच रिपोर्ट उनके पास थी | सिर्फ टाइफाइड के लिए एंटीबायोटिक चल रहा था, टाइफाइड काफी गंभीर था, मैंने टाइफाइड के लिए एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिया, मगर ६ -7 दिनों के बाद भी बुखार १०४ से कम नहीं हुआ, तब मुझे मलेरिया का भी शक हुआ, लैब में दुबारा जांच के लिए सैंपल भेजा, इस बार मलेरिया फेल्सिफेरम की पुष्टि हुई, तुरंत मरीज को बुलाया गया और Artesunate का इंजेक्शन दिया गया, तीन दिनों तक दावा देने क बाद भी बुखार नहीं उतरा, अतः इसे रेजिस्टेंट मलेरिया माना गया, कुनैन के नहीं मिलने पर मरीज को क्लिंडामाईसिन दिया गया, अगले 2 दिन में ही यानि १२ दिन के इलाज के बाद बुखार उतरना शुरू हो गया. २२-२३ इलाज होते होते बच्चे का बुखार उतर गया. १० दिन और एंटीबायोटिक दी गयी, जिससे लीवर और स्प्लीन नार्मल हो गया | इस तरह कुल ३५ दिन इलाज चलने के बाद बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया | उसके बाद बच्चे को टाइफाइड का वैक्सीन दिया गया, बच्चे को मलेरिया का टीका लगाने की भी सलाह दी गयी|
करीब डेढ़ साल पहले सात साल के एक लड़के को इलाज के लिए लाया गया, उसे २५ दिनों से १०५ डिग्री बुखार आ रहा था, २४ घंटे में दो बार अत्त्याधिक कपकपी आ रही थी. मैंने जांच किया तो बुखार उस समय १०४.८ डिग्री था, लीवर, स्प्लीन बढ़ा हुआ था | शरीर शिथिल व कमजोर अवस्था में था, उसने कई दिनों से खाया नहीं था, सिर्फ पानी पी रहा था, कुछ दवाइयां पहले से चल रही थी, लेकिन लाभ नहीं हो रहा था| २० दिन पहले की जांच रिपोर्ट उनके पास थी | सिर्फ टाइफाइड के लिए एंटीबायोटिक चल रहा था, टाइफाइड काफी गंभीर था, मैंने टाइफाइड के लिए एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिया, मगर ६ -7 दिनों के बाद भी बुखार १०४ से कम नहीं हुआ, तब मुझे मलेरिया का भी शक हुआ, लैब में दुबारा जांच के लिए सैंपल भेजा, इस बार मलेरिया फेल्सिफेरम की पुष्टि हुई, तुरंत मरीज को बुलाया गया और Artesunate का इंजेक्शन दिया गया, तीन दिनों तक दावा देने क बाद भी बुखार नहीं उतरा, अतः इसे रेजिस्टेंट मलेरिया माना गया, कुनैन के नहीं मिलने पर मरीज को क्लिंडामाईसिन दिया गया, अगले 2 दिन में ही यानि १२ दिन के इलाज के बाद बुखार उतरना शुरू हो गया. २२-२३ इलाज होते होते बच्चे का बुखार उतर गया. १० दिन और एंटीबायोटिक दी गयी, जिससे लीवर और स्प्लीन नार्मल हो गया | इस तरह कुल ३५ दिन इलाज चलने के बाद बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया | उसके बाद बच्चे को टाइफाइड का वैक्सीन दिया गया, बच्चे को मलेरिया का टीका लगाने की भी सलाह दी गयी|
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