Hereditary Spherocytosis
डेढ़ साल के बच्चे को लाया गया, उसे मिट्टी और चुना खाने की शिकायत थी | मैंने बोला बच्चे को जरुर एनीमिया होगी, बच्चे के जांच के वक़्त मैंने बच्चे की माँ की आँखों की भी जांच की, महिला की आँखों में भी पीलापन था, पता चला की माँ को भी एनीमिया था, प्रेगनेंसी के समय भी इसका पता चला था, राँची में विशेषज्ञों द्वारा खून चढ़ा कर डिलीवरी के बाद वेल्लोर भेजा गया, किन्तु खून चढाने के तीन महीने के बाद उपयुक्त जांच करायी जा सकती है अतः माँ को वापस भेज दिया गया, फिर कभी वह वेल्लोर नहीं गयी और तब से जब भी एनीमिया होता था वह खून चढवा लेती थी| यानि एनीमिया किसी अनुवांशिक कारण से था, बच्चे में स्प्लीन बढ़ा हुआ पाया, खून जल्द टूटने से माँ और बेटे दोनों को जोंडिश था, एनीमिया के कारण का पता लगाने के लिए सीबीसी, एचपीएल इत्यादि जांच मैंने लिखी, बच्चे में हीमोग्लोबिन 5.5 ग्राम व एचपीएलसी नार्मल आया, माँ अपनी जांच अभी नहीं करवाना चाह रही थी, आगे मैंने हेरिड़ेट्री स्फेरोसाईटोसिस के लिए जांच लिखा, जो +ve आ गया, aअतः डायग्नोसिस कन्फर्म हो गया, माँ भी जांच करवाने के लिए राजी हो गयी| और माँ में भी यही डायग्नोसिस बना | इलाज के बाद अब दोनों ठीक हैं, इस रोग में लाल कोशिकाएं गोल आकार की हो जाती हैं और 120 दिन नार्मल लाइफ के बजाये जल्दी टूटती हैं, इस कारण गंभीर एनीमिया और जॉन्डिस हो जाता है | खून चढाने के बावजूद एनीमिया बरक़रार रहता है और स्पिलेनेक्टॉमी के बाद लाल कोशिकाओं का टूटना धीमा पड़ जाता है, अतः बिना खून चढ़ाये हीमोग्लोबिन नार्मल रख सकते हैं, बिना पूर्ण जांच किये यदि इमरजेंसी नहीं है तो खून नहीं चढ़ाना चाहिए |
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