क्या है फेनकोनी एनिमिया
कुछ वर्षों पहले दिल्ली में मेरे अस्पताल में डेढ़ वर्ष के लड़के को इलाज के लिए लाया गया। उस लड़के में बहुत सारी शारीरिक विकृति एवं सीवियर एनिमिया था। बच्चे कि लंबाई भी काफी कम थी। आंखें छोटी थी और ऊपर सूजन भी था। उसका सिर भी छोटा था। तलवा हाई आच्र्ड था। दोनो हाथों के अंगूठे छोटा और मोटे थे। शरीर पर टेढ़े-मेढ़े दाग एवं खून के धब्बे भी थे। लिवर एवं स्पलीन भी बढ़ा हुआ था। वह बार बार बीमार पड़ रहा था। न्यूमोनिया, दस्त, बुखार आदि रोग हमेशा परेशान करते रहते थे। जांच में हीमोग्लोबिन 4.8 था। व्हाइट ब्लड सेल्स भी काफी कम था। एक्स-रे में दोनों हाथेंा में रेडियस हडडी हाइपोप्लास्टिक थी। एसजीपीटी भी बढ़ा हुआ था। खुन की जांच में बोन मैरो हाइपोप्लेशिया मिला। अब बोन मैरो में क्रोमोजोमल ब्रेकेज स्टडी की गयी। अब फेनोकोनी एनिकमिया कंफर्म हो गया। इलाज के लिए ब्लड ट्रांसफयूजन, प्लेटलेट ट्रांसफयूजन के अलावा एंड्रोजेन, टेस्टोस्टेरॅान एवं अन्य दवांए दी गयीं। कुछ महिनों के बाद बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए भेज दिया गया। अब स्टेम सेल में थेरेपी से पूर्णतः इलाज भी संभव है। यह आनुवंशिक रोग है और लड़के-लड़कियाॅं दोनों में होता है। इस रोग के होने के बाद कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है। समय- समय पर इसकी जांच भी करनी पड़ती है। शारीरिक विकृतियों के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।
कुछ वर्षों पहले दिल्ली में मेरे अस्पताल में डेढ़ वर्ष के लड़के को इलाज के लिए लाया गया। उस लड़के में बहुत सारी शारीरिक विकृति एवं सीवियर एनिमिया था। बच्चे कि लंबाई भी काफी कम थी। आंखें छोटी थी और ऊपर सूजन भी था। उसका सिर भी छोटा था। तलवा हाई आच्र्ड था। दोनो हाथों के अंगूठे छोटा और मोटे थे। शरीर पर टेढ़े-मेढ़े दाग एवं खून के धब्बे भी थे। लिवर एवं स्पलीन भी बढ़ा हुआ था। वह बार बार बीमार पड़ रहा था। न्यूमोनिया, दस्त, बुखार आदि रोग हमेशा परेशान करते रहते थे। जांच में हीमोग्लोबिन 4.8 था। व्हाइट ब्लड सेल्स भी काफी कम था। एक्स-रे में दोनों हाथेंा में रेडियस हडडी हाइपोप्लास्टिक थी। एसजीपीटी भी बढ़ा हुआ था। खुन की जांच में बोन मैरो हाइपोप्लेशिया मिला। अब बोन मैरो में क्रोमोजोमल ब्रेकेज स्टडी की गयी। अब फेनोकोनी एनिकमिया कंफर्म हो गया। इलाज के लिए ब्लड ट्रांसफयूजन, प्लेटलेट ट्रांसफयूजन के अलावा एंड्रोजेन, टेस्टोस्टेरॅान एवं अन्य दवांए दी गयीं। कुछ महिनों के बाद बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए भेज दिया गया। अब स्टेम सेल में थेरेपी से पूर्णतः इलाज भी संभव है। यह आनुवंशिक रोग है और लड़के-लड़कियाॅं दोनों में होता है। इस रोग के होने के बाद कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है। समय- समय पर इसकी जांच भी करनी पड़ती है। शारीरिक विकृतियों के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।
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